GETTING MY HINDI KAHANI TO WORK

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इस पर उसने काफी सोच विचार कर एक उक्ति लगाई, और राजा के दरबार में आवाज लगाते पहुंच गया! बकरियां मेरा दो गांव खा गई, बकरियां मेरा दो गांव खा गई। यह बात राजा तक पहुंचाई गई राजा मुस्कुराए वह बात को समझ गए, उन्होंने उस भील व्यक्ति को जो वायदा किया था उसे पूरा किया।

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यह बात जानकर हमें खुशी हुई, आपको अन्य कहानियां कैसी लगी यह भी हमें जरूर बताइए

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मोती से सामान छीनने लगे। गाय ने मोती को संकट में देख उसको बचाने के लिए दौड़ी।

दादा जी ने देखा दोनों बिल्ली के बच्चे भूखे थे। दादा जी ने उन दोनों बिल्ली के बच्चों को खाना खिलाया और एक एक कटोरी दूध पिलाई। अब बिल्ली की भूख शांत हो गई। वह दोनों आपस में खेलने लगे। इसे देखकर ढोलू-मोलू बोले बिल्ली बच गई दादाजी ने ढोलू-मोलू को शाबाशी दी।

मदन उड़ीसा के एक छोटे से गांव में पला-बढ़ा। पढ़ लिखकर वह एक अच्छी सी नौकरी करने लगा। नौकरी में लगातार हुए प्रमोशन से उसे खूब तरक्की और शोहरत की प्राप्ति हुई। वह अब शहर में रहने लगा , वहां मदन को ग्यारहवीं मंजिल पर एक आलीशान फ्लैट कंपनी के द्वारा मिला। मदन अपनी पत्नी को एक बच्चे के साथ खूब ऐसो आराम से रहने लगा।

दूसरे परियोजनाओं में विकिमीडिया कॉमन्स

चूहा बोतल पर चढ़ा किसी तरह से ढक्कन को खोलने में सफल हो जाता है। अब उसमें चूहा मुंह घुसाने की कोशिश करता है। बोतल का मुंह छोटा था मुंह नहीं घुसता। फिर चूहे को आइडिया आया उसने अपनी पूंछ बोतल में डाली। पूंछ शरबत से गीली हो जाती है उसे चाट-चाट कर चूहे का पेट भर गया। अब वह गोलू के तकिए के नीचे बने अपने बिस्तर पर जा कर आराम से करने लगा।

अपने दोनों हाथों में उठाकर आसमान में ले गई। उन्हें छोड़ दिया, वह धीरे-धीरे उड़ रही थी।

और आश्वासन देते हैं कि आपको राज दरबार में यह पत्ता दिखाने पर दो गांव मिल जाएगा। वह व्यक्ति अपने घर गया और उसने उस पत्ते को एक जगह टांग दिया। उस व्यक्ति के यहां तीन बकरियां थी जिन्होंने उस पत्ते को चर लिया अर्थात खा गए। जब उस व्यक्ति को मालूम हुआ कि वह पत्ता बकरी खा गई, उसकी समझ में कुछ नहीं आया।

पंडित जी की अवस्था क़रीब पैंतालीस वर्ष की है और उनकी पत्नी की बीस वर्ष की। पंडित जी अंग्रेज़ी और संस्कृत दोनों में विद्वान हैं और कई पुस्तकें लिख चुके हैं। सप्ताह में दो-एक दिन उन्होंने समाचार पत्र और मासिक पुस्तकों के लिए लेख लिखने को नियत कर लिया है, गिरिजादत्त बाजपेयी

किंतु जैसे ही मछुआरा जाल समेटने के लिए आगे बढ़ा तो समझदार मछली ने मरे हुए होने का झूठा स्वांग, नाटक किया। मछुआरे ने मरा हुआ समझकर उस मछली को निकालकर फेंक दिया। वह मछली अपनी समझदारी का प्रयोग करते हुए उछलकर नदी में भाग गई, किंतु जो आलसी मछली थी वह जाल में पड़ी रही। मछुआरों ने उसे ले जाकर बाजार में बेच दिया इस प्रकार उसके प्राण निकल गए। अतः बुद्धि का प्रयोग अवश्य करना चाहिए बुद्धि का प्रयोग करके ही हम विकट परिस्थितियों में बच सकते हैं।

वजन काफी गिर गया। इसके बाद राजा ने जेल से ज्योतिषी को बुलाया और कहा, “आप क्यों नहीं मुझे तुम्हारा सिर कलम

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